होत न आज्ञा बिनु पैसारे ॥२१॥ सब सुख लहै तुह्मारी सरना । तुम मम प्रिय भरतहि सम भाई ॥१२॥ सहस बदन तुह्मारो जस गावैं । छूटहि बन्दि महा सुख होई ॥३८॥ जो यह पढ़ै हनुमान चालीसा । साधु सन्त के तुम रखवारे। असुर निकन्दन राम दुलारे॥ राम दुआरे तुम रखवारे। https://directoryvenom.com/listings13211919/hanuman-chalisa-an-overview