रूपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि।। विमोह जोगनामोह सर्व मोग्या था था थाह स्वाहा हे गौरी शंकरार्धांगिं! यथा त्वं शंकरप्रिया। मंत्र: श्री राम नाम खेलो अकन कबीरी। सुनिये नारी बात हमारी। एक पान संग मंगाय। एक पान सेज सौं लावैं मक पान मुख बुलावै। हमको छोड़ और को https://manuelbhpvz.blogrelation.com/40056850/the-5-second-trick-for-bhairav